मैं सूर्य नमस्कार करने की विधि, इसके लाभ, और इसे करने के पीछे के कारणों के बारे में विस्तृत जानकारी जुटाऊंगा। इसमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ शामिल होंगे, साथ ही इसकी सही तकनीक भी बताई जाएगी ताकि आप इसे सही तरीके से कर सकें। मैं पूरी जानकारी जुटाकर जल्द वापस आता हूँ।
सूर्य नमस्कार के बारे में विस्तृत जानकारी
सूर्य नमस्कार करने की विधि (12 चरणों वाले आसन):
- प्रणामासन (Pranamasana – प्रार्थना मुद्रा): सीधे खड़े होकर पैरों को मिलाएं और कमर सीधी रखें। दोनों हाथों को सीने के पास लाकर हथेलियाँ जोड़कर प्रणाम की मुद्रा बनाएं।

2.स्त उत्तानासन (Hasta Uttanasana) – ऊर्ध्व हस्त मुद्रा): पैरों को यथावत रखते हुए सांस लें और दोनों हाथों को सीधे सिर के ऊपर उठाकर पीछे की ओर झुकें। इससे आधे चंद्राकार (अरद्घ चंद्र) मुद्रा बनती है।

3.पादहस्तासन (Padahastasana – हस्त-स्थिरित मुद्रा): धीरे-धीरे साँस छोड़ें और आगे की ओर झुकते हुए दोनों हाथों से पैरों की उंगलियाँ छूने की कोशिश करें। इस समय आपके सिर का माथा घुटनों से लगना चाहिए।

4.अश्व संचालनासन (Ashwa Sanchalanasana – घुड़सवारी मुद्रा): इनहेल करते हुए दायां पैर पीछे की ओर सीधा फैलाएं और बायां पैर मोड़कर घुटने के बल रखें। दोनों हाथों की हथेलियाँ जमीन पर टिकाएं और पीछे मुंह करके सिर को आसमान की ओर उठाएं।

5.दंडासन (Dandasana – अलठांग मुद्रा): अब साँस छोड़ते हुए दोनों पैरों को सीधा करके पुश-अप (फलक) की पोजीशन में आ जाएं। शरीर सिर से एड़ी तक एक सीध में होनी चाहिए।

6.अष्टांग नमस्कार (Ashtanga Namaskara – आठांग नमस्कार): साँस लेते हुए छाती, घुटने, हाथ की हथेलियाँ और पैर की अंगुलियाँ जमीन को स्पर्श करें और शरीर का अधिकांश भाग जमीन से लगाएं। इस अवस्था में कुछ समय के लिए रुकें।

7.भुजंगासन (Bhujangasana – सर्प मुद्रा): हथेलियाँ जमीन पर रखने के बाद साँस लेते हुए छाती को जमीन से ऊपर उठाएं और सिर को पीछे की ओर झुकाकर जितना हो सके ऊपर की ओर देखें।

8.अधोमुख श्वानासन (Adho Mukha Svanasana – नीचे मुख वाला कुत्ता मुद्रा): 8.सांस छोड़ते हुए दोनों पैरों को सीधा रखें और कमर से कूल्हे को ऊपर उठाकर शरीर को त्रिकोणाकार स्थिति में ले जाएं। सिर को नीचे की ओर झुकाकर कंधों को सीधा रखें।

9.अश्व संचालनासन (दायां पैर आगे – Equestrian Pose): फिर से साँस लेते हुए दाहिने पैर को मोड़कर सामने ले आएं और बायां पैर पीछे फैलाएं। दोनों हाथों की हथेलियाँ जमीन पर टिकें और सिर को ऊपर की ओर उठाएं

10.पादहस्तासन: साँस छोड़कर आगे की ओर झुकें और दोनों हाथों से पैरों की उंगलियाँ छूने का प्रयास करें, सिर घुटनों से मिलने तक झुकाएँ।

11.हस्त उत्तानासन (हाथ ऊपर करना): सांस लेते हुए सीधा हो जाएं, फिर पहले की तरह दोनों हाथों को सिर के ऊपर उठाकर पीछे की ओर झुकें

12.प्रणामासन: अंत में साँस छोड़ते हुए धीरे से सीधा खड़े हो जाएं और प्रणाम मुद्रा में वापस आ जाएं (हाथ जोड़े रखना)

सूर्य नमस्कार करने के पीछे उद्देश्य
- शारीरिक दृष्टि से: सूर्य नमस्कार के 12 चरण पूर्ण शरीर का व्यायाम करते हैं, जिससे मांसपेशियाँ लचीली और मजबूत बनती हैं। यह पूरे शरीर में रक्त संचार को बेहतर करता है और पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है। इसका प्रमुख उद्देश्य शरीर को ऊर्जा (प्राण शक्ति) से भरकर सक्रिय करना और योग के लिए तैयार करना है।
- मानसिक दृष्टि से: यह अभ्यास दिमाग को शांत करता है और तनाव को कम करने में सहायक होता है। सूर्य नमस्कार करने पर एकाग्रता बढ़ती है और नकारात्मक विचार कम होते हैं, जिससे मानसिक संतुलन स्थापित होता है। नियमित अभ्यास से मन को ऊर्जा मिलती है और दिनभर ताजगी बनी रहती है।
- आध्यात्मिक दृष्टि से: सूर्य नमस्कार सूर्यदेवता को अर्घ्य देने के रूप में भी माना जाता है। इसे करने से शरीर में सौर ऊर्जा (सूर्य के प्राण) का संचार बढ़ता है। योग शास्त्रों में कहा गया है कि यह क्रिया Solar Plexus (मणिपूर केंद्र) को सक्रिय करके भीतर की ऊर्जा को जागृत करती है। इस प्रकार सूर्य नमस्कार आध्यात्मिक रूप से शरीर, मन और आत्मा को सामंजस्यपूर्ण बनाने में मदद करता है।
सूर्य नमस्कार के लाभ
- शारीरिक लाभ: पूरे शरीर की मांसपेशियाँ सक्रिय होती हैं, जिससे ताकत और लचीलापन बढ़ता है। नियमित अभ्यास से पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है और पेट की चर्बी में कमी आती है। यह हृदय स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है क्योंकि हृदय गति संतुलित होती है और रक्त परिसंचरण बढ़ता है। साथ ही प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है और रीढ़ की हड्डी स्वस्थ रहती है।
- मानसिक लाभ: सूर्य नमस्कार तनाव और चिंता को दूर रखता है। अभ्यास से दिमाग शांत रहता है, एकाग्रता बढ़ती है, अनिद्रा जैसी समस्याएँ दूर होती हैं। यह व्यायाम अंतःकरण में सकारात्मक ऊर्जा भरता है और प्रसन्नता की भावना जगाता है।
- ऊर्जा वृद्धि: नियमित सूर्य नमस्कार करने से पूरे दिन शरीर में ऊर्जा बनी रहती है और थकान कम होती है। मांसपेशियों और तंत्रिकाओं में प्रसारित सकारात्मक ऊर्जा से शारीरिक एवं मानसिक स्फूर्ति बनी रहती है।
सूर्य नमस्कार कब करना चाहिए और सावधानियाँ
- समय: आदर्शतः यह अभ्यास सुबह-सुबह सूर्य उदय के समय खाली पेट करना चाहिए। सुबह की सूर्य की किरणें स्वास्थ्यवर्धक ऊर्जा प्रदान करती हैं। यदि सुबह संभव न हो तो शाम को सूर्यास्त के बाद कम तेज रोशनी में भी किया जा सकता है।
- सावधानियाँ:
- हमेशा खाली पेट ताजी हवा में करें और शुरुआत में धीरे-धीरे करें, जल्दबाजी न करें।
- अभ्यास के दौरान सुबह पूर्व दिशा की ओर, शाम में पश्चिम की ओर मुख करके करें।
- आरामदायक और ढीले कपड़े पहनें ताकि शरीर पर कोई बाधा न हो।
- क्रम में सभी 12 आसन पूरे करें, किसी भी आसन को अधूरा न छोड़ें और दो आसनों को साथ में करने से बचें।
- अभ्यास से पहले हल्का वार्म-अप जरूर करें और साँस लेने की क्रिया स्वाभाविक रखें।
- चेहरे पर मुस्कान बनाए रखें और ध्यान पूर्वक अभ्यास करें, जिससे इसके अधिक लाभ मिलते हैं।